सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार (1 जनवरी) को राम मंदिर मामले में फैसलों को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अयोध्या मामले में न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि फैसला किसने लिखा है, उसका उल्लेख नहीं होगा.
न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सीजेआई ने कहा, ''संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में एक स्वर में फैसला सुनाने का निर्णय लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या के राम मंदिर मामले पर फैसला सुनाया था. तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली विशेष बेंच (जिसमें जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (अब सीजेआई), जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर) ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में सरकार को तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने, निर्माण की योजना बनाने और संपत्ति का प्रबंधन करने का निर्देश दिया था. फैसले में कहा गया था कि 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि हिंदुओं को मिलेगी.
भूमि का कब्जा मुकद्दमे के अधीन संपत्ति के सरकारी प्रबंधकर्त्ता के पास रहेगा. मुस्लिमों को विकल्प के तौर पर किसी अन्य स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का फैसला सुनाया गया था.
बता दें कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया है. प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए तैयारियां जोरों से चल रही हैं. हाल में पीएम मोदी ने अयोध्या में पुनर्विकसित रेलवे स्टेशन और महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया है.