Sonam Wangchuk; भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सामाजिक और जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के आमरण अनशन के आज पुरे 14 दिन गुजर गये है, वे लगातार 14 दिनों से लद्दाख के -22 डिग्री सेंटीग्रेट के खतरनाक ठंढ में भूखे है,वे कुल 21 दिनों के आमरण अनशन पर बैठे है उनके समर्थन में देश के सभी जगहों से लोग आगे आ रहे है | रविवार को उनके आव्हान पर देश के सभी कोनो से लोग उनके समर्थन में भूखे रहे थे, उनके समर्थन में लोग उनके साथ उनके अनशन स्थान पर भी बड़ी संख्या में अनशन पर बैठे है, उन्होंने अपने देश के लोगों से अगले रविवार 24 मार्च को एक बार फिर भूखे रहकर समर्थन माँगा है, लेकिन इसकी वजह क्या है |
पेशे से इंजीनियरिंग और पर्यावरण कार्यकर्ता (Sonam Wangchuk) 14 दिनों आमरण अनशन पर बैठे है जानिए वजह;
Sonam Wangchuk लद्दाख को भारतीय संविथान के 6th schedule में डालने की मांग कर रहे है जिसका वादा खुद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अपनी चुनावी वादों में और गृहमंत्री ने खुद संसद में उस समय किया था जब वर्ष 2019 में उन्होंने लद्दाख को जम्मू और कश्मीर से अलग करके एक अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया था, सरकार के साथ 6 मार्च को हुई बैठक का कोई नतीजा ना निकल पाने के बाद से ही सोनम वांगचुक आमरण अनशन पर है |
कौन है सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk)
अगर आप लद्दाख की राजनीति और भूगोल से जरा सा भी परिचित है तो आपने सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) का नाम जरुर सुना होगा वे पेशे से एक इंजिनियर है और वे पर्यावरण के प्रति काफी संवेदनशील है और वे चाहते है की लद्दाख को किसी भी प्रकार के खतरे जैसे कि खनन,जंगल कटाई और नदियों के प्रदुषण से बचाया जाये | उन्होंने अपने इंजीनियरिंग की मिशाल देते हुए वर्ष 2021 में उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक सोलर हीटेड टेंट का निर्माण किया था जिससे की सेना के नौजवानों को लद्दाख की खतरनाक ठण्ड से बचाया जा सके जिसके लिए पुरे देश में उनकी खूब तारीफ हुई थी,
इसके आलावा उन्होंने लद्दाख में कई कार्बन नुट्रल सोलर बिल्डिंग्स का निर्माण भी किया है उन्होंने लद्दाख के लोगो को पानी की समस्या से निजाद दिलाने के लिए एक आर्टिफिशियल ग्लेशियर की अवधारणा भी पेश की जो काफी सफल रहा है | उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2009 में आई फ़िल्म में आमिर खान के द्वारा निभाया गया रोल, Sonam Wangchuk से ही प्रेरित था | इनके द्वारा पर्यावरण और समाज के लिए किये गये कार्यो की वजह से ही उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चूका है जैसे कि रेमैन मैग्सेसे पुरस्कार, ग्रीन टीचर अवार्ड और यूनाइटेड नेशन का UNESCO पुरस्कार से भी नवाजा जा चूका है |
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क्या है लद्दाख की मांगे? (Sonam Wangchuk Demands)
पिछले कुछ दिनों से लद्दाख में हजारों लोग सड़को पर इस बात के लिए आये है की उन्हें भारतीय संविधान के छठवे अनुसूची में डाला जाये जिससे की उनके लोगो और उनके प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग ना हो सके और लद्दाख जैसे अति संवेदनशील प्राकृतिक स्थल को सुरक्षित रखा जा सके, जिसके लिए सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कई बार जिक्र भी किया था | सरकार के इस वादे को लेकर लद्दाख में कई बार प्रदर्शन देखने को मिला है जैसे कि सितम्बर 2020 में, दिसम्बर 2021में, नवम्बर2022 में और अब इस 2024 के फरवरी और मार्च के महीने में जहां पुरे लद्दाख की लगभग 10 प्रतिशत से अधिक आबादी सडको पर उतर आई थी और एक बड़ा प्रोटेस्ट देखने को मिला था | लद्दाख के लोगो का 6th schedule के आलावा कुछ और मांगे है जो कि निम्नवत है –
- लद्दाख को भारतीय संविधान के 6th schedule में शामिल करना जिससे की ये भी अन्य भारतीय राज्य जैसे कि असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम की तरह अपने संस्कति के साथ -साथ वे अपने जल, जमीन,जंगल और पहाड़ को सुरक्षित रख सके और प्राकृतिक आपदाओ जैसे कि भूस्खलन आदि से सुरक्षित रह सके,ताकि इनके यहाँ कभी केदारनाथ, जोशीमठ और उत्तरकाशी आपदाएं न हो और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए ये जनजातीय लोग अपनी खुद की एक ऑटोनोमस संस्था जैसे कि ADCs और ARCs भी बना सके |
- सरकार द्वारा दिए गये केन्द्रशासित प्रदेश के दर्जे को बदल कर उन्हें एक स्टेट का दर्जा दिया जाये |
- लद्दाख को कम से कम 2 MP दिए जाए |
- लद्दाख के लोगो को रोजगार के लिए एक उनका खुद का पब्लिक सर्विस कमीशन हो |
आपकी जानकारी के लिए बता दें की लद्दाख पर्यावरणीय दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील जगह है क्योकि इनके पहाड़ियों में दुनिया भर के कई दुर्लभ जिव पाए जाते है जिनको मानवीय हस्तक्षेप से खतरा है और ये जिव लद्दाख की पहचान भी है पुरे लद्दाख की लगभग 80 प्रतिशत आबादी जनजातीय आबादी है |
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